________________
तीरथ का वंदन करने से, आत्मा भी तीरथ बनती है। अन्तर के भाव करे निर्मल, मन के सब कल्मष धुलती है।।
जब सम्यग्ज्ञान प्रगट होता.......... जब सम्यग्ज्ञान प्रगट होता, अंतर की कली खिल जाएगी। 'चंदनामती' है आश मेरी, आत्मा तीरथ बन जाएगी।।
तीरथ श्रावस्ती............॥५॥
95