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________________ श्री सरस्वतीमाता की आरति ॥ सरस्वती माता नी आरति ॥ नमोऽर्हत्..... (राग:- हे शंखेश्वर स्वामी...) जय वागिश्वरी माता, जय जय जननी माता , पद्मासनी भवतारिणी (२) अनुपम रस दाता...........जय वागिश्वरी माता..... हंसवाहिनी जलविहारिणी, अलिप्त कमल समी (२) ईन्द्रादि किन्नरने (२) सदा तुं हृदये गमी........जय वागिश्वरी माता..... तुजथी पंडित पाम्या, कंठ शुद्धि सहसा (२) यशस्वी शिशुने करतां (२) सदा हसित मुखा........जय वागिश्वरी माता.... ज्ञान ध्यान दायिनी, शुद्ध ब्रह्म कृपा (२) अगणित गुणदायिनी (२) विश्वे छो अनूपा........जय वागिश्वरी माता..... __ ऊर्ध्वगामिनी मां तुं, ऊर्चे लइ लेजे (२) जन्म मरण ने टाळी (२) आत्मिक सुख देजे........जय वागिश्वरी माता.... रत्नमयी ऍ रुपा, सदाय ब्रह्म प्रिया (२) कर कमले वीणाथी (२) शोभो ज्ञान प्रिया.......जय वागिश्वरी माता.... दोषो सहुना दहतां, अक्षय सुख आपो (२) साधक इच्छित अपी (२) शिशु उरने तर्पो .....जय वागिश्वरी माता.... आरती – २ नमोऽर्हत्..... ( रागः- जय जय आरति ) ___ जय जय आरती देवी तमारी, आश पुरो हे मात अमारी .......जय जय.... वीणा पुस्तक कर धरनारी, अमने आपो बुद्धि सारी........जय जय.... ज्ञान अनंत हृदये धरनारी, तमने वंदे सहु नर नारी.......जय जय... मात सरस्वती आरती तमारी, करतां जगमां जय जय कारी...जय जय... 74
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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