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________________ श्री पद्मावती माता की आरती (2) पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां ।। टेक० ॥ पार्श्वनाथ महाराज विराजे मस्तक ऊपर थारे, माता मस्तक ऊपर थारे । इन्द्र, फणेन्द्र, नरेन्द्र सभी मिल, खड़े रहें नित द्वारे । हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां ।। दो बार || जो जीव थारो शरण लीनो, सब संकट हर लीनो, माता सब संकट हर लीनो। पुत्र, पौत्र, धन, धान्य, सम्पदा, मंगलमय कर दीनो । हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां ।। दो बार || डाकिनि, शाकिनि, भूत, भवानी, नाम लेत भग जायें, माता नाम लेत भग जायें। वात, पित्त, कफ, कुष्ट मिटे अरू तन सुखमय हो जावे। हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां ।। दो बार || दीप, धूप, अरु पुष्प आरती, ले आरति को आयो, माता ले दर्शन को आयो । दर्शन करके मात तिहारो, मनवांछित फल पायो । हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां ।। दो बार || जब भक्तों पर पीर पड़ी है रक्षा तुमने कीनी, माता रक्षा तुमने कीनी | वैरियों का अभिमान चूरकर इज्जत दूनी दीनी । हे पद्मावती माता, दर्शन की बलिहारियां ।। हे पद्मावती माता, आरति की बलिहारियां ।। 65
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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