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________________ श्री मल्लिनाथ भगवान की आरती ॐ जय मल्लिनाथ स्वामी, प्रभु जय मल्लिनाथ स्वामी।। शल्य नशें भक्तों की, होवें निष्कामी ॥ ॐ जय...॥ टेक ॥ चैत्र सुदी एकम को, गर्भ बसे आके || स्वामी ॥ प्रजावती मां कुम्भराज पितु, अतिशय हर्षा ।। ॐ जय...॥१॥ जन्म हुआ मिथिला में, मगशिर सुदि ग्यारस || स्वामी ॥ इसी दिवस शुभ दीक्षा लेकर, सफल किया स्वारथ । ॐ जय...॥२॥ पौष कृष्ण दुतिया को, केवलरवि प्रगटा। स्वामी ॥ इन्द्र स्वयं आकर तब, समवसरण रचता ॥ ॐ जय...॥३॥ फाल्गुन सुदि सप्तम को, मोक्षधाम पाया || स्वामी ॥ सम्मेदाचल पर जा, स्वात्मधाम पाया ॥ ॐ जय...॥४॥ स्वर्ण शरीरी पर अशरीरी, बने मल्लिप्रभु जी ।। स्वामी ॥ करे “चंदनामति” तव वन्दन, तुम सम बने मती ॥ ॐ जय...॥५॥ 40
SR No.009245
Book TitleJain Arti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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