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पंक में खिल के पंकज अलग जैसे हैं,
मेरी आत्मा भी संसार में वैसे है। उसको प्रभु सम बनाने का पुरुषार्थ कर, जय हो अंतिम जिनेश्वर महावीर की।।७।। पूरे सरवर के बिच एक मंदिर बना, जो कहा जाता जल मंदिर है सोहना। पारकर पुल से जाकर करो वंदना, बोलो जय पास जाकर महावीर की।।८।। लोग प्रतिवर्ष दीपावली के ही दिन,
पावापुर में मनाते हैं निर्वाणश्री। भक्त निर्वाणलाडू चढ़ाते जहाँ, बोलो
उस भूमि पर जय महावीर की।९।। वीर के शिष्य गौतम गणीश्वर ने भी, पाया कैवल्यपद वीर सिद्धि दिवस। पूजा महावीर के संग करो उनकी भी, बोलो गौतम के गुरु जय महावीर की।।१०।।
पावापुर में नमूं वीर के पदकमल,
और गौतम, सुधर्मा के गणधर चरण। “चन्दनामति” चरणत्रय का वन्दन करो, बोलो जय रत्नत्रयपति महावीर की॥११॥
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