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नन्दीश्वर पर्व की आरती
चलो सब मिल आरति कर लो, चलो सब मिल आरति कर लो।
नन्दीश्वर के बावन मंदिर की आरति कर लो।।चलो. ॥ टेक ॥
मध्यलोक में अष्टम द्वीप का नाम नन्दीश्वर है । उसी द्वीप के चारों दिश में, बावन मन्दिर हैं। उन्हीं प्रभु की आरति कर लो,
अंजन दधिमुख रतिकर पर्वत की आरति कर लो ।।चलो. ॥१॥ केवल इन्द्र देवगण ही, इस द्वीप में जाते हैं । नन्दीश्वर पर्वों में वहां पर, धूम मचाते हैं ।। मेरूगिरि की आरति कर लो,
मनुज क्षेत्र के पंचमेरु, जिनकी आरति कर लो। चलो . ॥२॥ कार्तिक, फाल्गुन, षाढ़ मास में पर्व है यह आता। आष्टान्हिक या नन्दीश्वर, कहकर पूजा जाता । सिद्ध प्रभु की आरति कर लो,
अकृत्रिम सब जिनवर बिम्बों, की आरति कर लो। चलो ॥३॥
सिद्धों की वंदना कार्य की, सिद्धी करती है। भक्ती से “चंदनामती’”, मुक्ती भी मिलती है। अतः भक्ती तुम भी कर लो, श्री जिनमंदिर, जिनप्रतिमाओं की आरति कर लो। चलो. ॥४॥
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