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मृत्युंजय विधान की आरती ॐ जय जय मृत्युंजय, प्रिय जय जय मृत्युंजय।
दुखकारी सुखकारी, करे सुयंत्र विजया।टेक.॥ जिसके सुमरन से ही डाकिन भूत पिशाच भगे। अहो. भव दुख भंजन पाप निकन्दन, आतम ज्योति जगे।ॐ......। जिसकी महिमा सुनकर, भविजन श्रद्धा उर प्रगटे। अहो. बीज मंत्र का ध्यान लगाकर, निज के रूप लसे।ॐ......।
जिसकी स्तुति पूजन से झट, भव बंधन टूटे। अहो. मूल मंत्र का जप करने से, सब ही पाप कटे।ॐ......। एक एक अक्षर का जो भवि नित ही ध्यान धरे। अहो. ज्ञान चेतना जगे शीघ्र ही निज के रूप करे।ॐ......।
जो भी इसका पाठ करे है वह मृत्यु जीते। अहो. विघ्न रोग उपसर्ग नशे जब विषयों से रीते।ॐ......।
मृत्युंजय का ध्यान धरे जो चतुर्गती छूटे। अहो. "अभयमती' निज में ही रमकर पंचम गति पहुँचे।ॐ......।
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