________________
हाटकमय दीपक रचो, बाति कपूर सुधार । शोधित घृत कर पूजिये, मोह- तिमिर निरवार ॥
क्षमा गहो र जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय ।
ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शन-अष्टांगसम्यग्ज्ञान- त्रयोदशविध सम्यक् चारित्रेभ्यो नमः दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
कृष्णागर करपूर हो, अथवा दशविधि जान ।
जिन चरणन ढिग खेइये, अष्ट-कर्म की हान ॥ क्षमा गहो र जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय ।
ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शन-अष्टांगसम्यग्ज्ञान-त्रयोदशविध सम्यक् चारित्रेभ्यो नमः धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
केला अम्ब अनार फल, नारिकेल ले दाख । अग्रधरो जिनपद तने, मोक्ष होय जिन भाख ॥ क्षमा गहो उर जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय ।
ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शन- अष्टांगसम्यग्ज्ञान- त्रयोदशविध सम्यक् चारित्रेभ्यो नमः फलं निर्वपामीति स्वाहा।
जल फल आदि मिलाय के, अरघ करो हरषाय ।
दुःख जलांजलि दीजिये, श्रीजिन होय सहाय ॥
क्षमा गहो र जीवड़ा, जिनवर - वचन गहाय ।
ॐ ह्रीं अष्टांगसम्यग्दर्शनअष्टांगसम्यग्ज्ञान-त्रयोदशविध सम्यक्-चारित्रेभ्यो नमः अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
762