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सवैया तेईसा सुन्दर षोडशकारण भावना निर्मल चित्त सुधारक धारै । कर्म अनेक हने अति दुर्धर जन्म जराभय मृत्यु निवारे ॥
दःख दरिद्र विपत्ति हरै भव-सागरको पर पार उतारै । ज्ञान कहे यही षोडशकारण कर्म निवारण सिद्ध सुधारै ॥
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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