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श्रीमहावीर जिन-पूजा (चान्दन गांव- श्री महावीर जी) (रचयिता - श्री पूरनमल)
श्री वीर सम्मति गांव चांदन में प्रकट भये आय कर। जिनको वचन-मन-काये से मैं पूजहूं शिर नाय कर।। हुये दयामय नार-नर लखि, शांतिरूपी भेष को। तुम ज्ञानरूपी भानु से कीना सुशोभित देश को।।
सुर इन्द्र विद्याधर मुनी नरपति नवावें शीस को।
हम नमत हैं नित चाव सों महावीर प्रभु जगदीश को।। ऊँ ह्रीं श्रीमहावीर स्वामिन्! अत्र अवतर अवतर संवौषट्। (इति आह्वाननम्)
ऊँ ह्रीं श्रीमहावीर स्वामिन्! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। (स्थापनम्) ऊँ ह्रीं श्रीमहावीर स्वामिन्! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट्। (सन्निधिकरणम्)
क्षीरोदधि से भरि नीर, कंचन के कलशा। तुम चरणनि देत चढ़ाय, आवागमन नशा।।
चांदनपुर के महावीर, तोरी छवि प्यारी।
प्रभु भव-आताप निवार, तुम पद बलिहारी। ऊँ ह्रीं श्रीमहावीरस्वामिने जन्मजरामृत्यु-विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।।।
मलयागिरि चन्दन कपूर, केशर ले हरषौं। प्रभु भव-आताप मिटाय, तुम चरननि परसौं।
चांदनपुर के महावीर, तोरी छवि प्यारी।
प्रभु भव-आताप निवार, तुम पद बलिहारी।। ऊँ ह्रीं श्रीमहावीरस्वामिने संसारताप-विनाशनाय चंदनं निर्वपामीति स्वाहा।2।
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