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छन्द
श्रेयांस महेशा सुगुन जिनेशा, वज्रधरेशा ध्यावतु है।
हम निशदिन वन्दैं पापनिकंदैं, ज्यौं सहजानंद पावतु हैं। 16
ऊँ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथजिनेन्द्राय जयमाला - पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। सोरठा
जो पूजें मना श्रेयनाथ पदपद्म को। पावें इष्ट अघाय, अनुक्रमसौं शिवतिय वरै।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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