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________________ विविध सुगंधित मलयागिर चंदन की धूप दशांग बनाई है। इन अष्ट दुष्ट कर्म के नाश हेतु धूप धनंजय में खेई है। त्रिविध कर्म के नाश किये बिन कर्म नहीं कट पाएँगे। श्री शान्ति कुन्थु अर महावीर-शरण से आत्माराधन पाएँगे।।7।। ॐ ह्रीं श्रीपावागिरि-सिद्धक्षेत्रतः सिद्धपदप्राप्ताः स्वर्णभद्रादि-चतुर-मुनिश्वरेभ्यः एवं शान्ति-कुन्थु-अर महावीरजिनेन्द्रेभ्या अष्टकर्म-दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। पक्व-अपक्व फलों को खाकर प्रभुवर मैंने उदर भरा। मनचाही इच्छाएँ लेकर फल भक्षण कर अतृप्त रहा।। हे वीतराग सर्वज्ञ प्रभो तुमसा फल मैं भी पाऊँगा। श्री शान्ति कुन्थु अर महावीर-चरण में मोक्षमहाफल पाऊँगा।।8।। ऊँ ह्रीं श्रीपावागिरि-सिद्धक्षेत्रतः सिद्धपदप्राप्ताः स्वर्णभद्रादि-चतुर-मुनिश्वरेभ्यः एवं शान्ति-कुन्थु-अर महावीरजिनेन्द्रेभ्या मोक्षफल-प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। पय चंदन अक्षत पुष्प नैवेद्य का, थाल सजाकर मैं लाया हूँ। दीप धूप फल मिश्रित करके, अर्घ बनाकर मैं लाया हूँ।। अब अनर्घपद प्राप्ति हेतु शाश्वत-सुख पाने आया हूँ। श्री स्वर्णभद्रादि चार मुनिवर को अर्घ्य चढ़ाने आया हूँ।।9।। ऊँ ह्रीं ॐ ह्रीं श्रीपावागिरि-सिद्धक्षेत्रतः सिद्धपदप्राप्तेभ्यः स्वर्णभद्रादि-चतुर-मुनिश्वरेभ्यः एवं शान्ति कुन्थु-अर- महावीरजिनेन्द्रेभ्यः अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। जयमाला श्रद्धा-भाव से तीर्थ-वंदन करने जो भी भविजन आते है।। उनके भव-भव के संकट पल भर में ही टल जाते हैं।। श्री शान्तिकुथु अर महावीर के दर्शन को जो आता है। श्री स्वर्णभद्रादि चार मुनि को फणीश शीश झुकाता है।। मध्यप्रदेश पावन माटी को कोटि-कोटि वन्दन है। श्री स्वर्णभद्रादि ऋषिवर को शत-शत अभिनंदन है।। 648
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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