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पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है । विश्वसेन-पितु वामा-माता, तुमको पाकर धन्य हुए। तिथि वैशाख वदी तृतीया को, गर्भबसे जगवंद्य हुए ||
प्रभु का गर्भकल्याण पूजत, मिले निजातम सार है। पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है। 1।।
ऊँ ह्रीं वैशाखकृष्णा-द्वितीयायां श्रीपार्श्वनाथजिन-गर्भकल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
वंदन शत-शत बार है,
पार्श्वनाथ चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है। जिनका जन्मकल्याणक जजते, मिले सौख्य-भंडार है। पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है । पौष कृष्ण ग्यारस तिथि उत्तम, वाराणसि में जन्म हुआ। श्री सुमेरु की पांडशिला पर, इन्द्रों ने जिन - न्हवन किया।। जो ऐसे जिनवर को जजते, हो जाते भव- पार हैं। । पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है | 2 ||
ऊँ ह्रीं पौषकृष्णा-एकादश्यां श्रीपार्श्वनाथजिन- जन्मकल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
वंदन शत-शत बार है,
पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है । जिनका तपकल्याणक जजते, मिले सौख्य-भंडार है। पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है || पौष वदी ग्यारस जाति-स्मृति, से बारह भावन भाया। विमलाभा पालकि में प्रभु को, बैठा अश्ववन पहुँचाया।।
स्वयं प्रभू ने दीक्षा ली थी, जजत मिले भव-पार है।। पार्श्वनाथ के चरण-कमल में, वंदन शत-शत बार है | 3 || ऊँ ह्रीं पौषकृष्णा-एकादश्यां श्रीपार्श्वनाथजिन - दीक्षाकल्याणकाय अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
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