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जलगंधाक्षत पुष्प चरूवर दीप धूप और फल। पार्श्वचरण में अध्य चढ़ाकर जीवन बने सफल || संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी ।
अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी॥ 9॥
ॐ ह्रीं श्री 1008 संकटहरपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
शान्तिधारा पार्श्वचरण में, शांतिधारा जग शान्ति कर दो। शान्तिदाता पारस-मणिसम रसमय जीवन दो ||
संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी । अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी ॥ ॥
शान्तये शान्तिधारा... पुष्पांजलि
पुष्पांजलि सुरभित पुष्पों से महक जाय जीवन। पुष्प - सुकोमल - सम निर्मल मम हो जाये ये मन।। संकटहर श्री पार्श्वप्रभुजी जैनगिरीवासी । अद्भुत महिमा जगकल्याणी अष्टकर्मनासी ॥ पुष्पांजलिं क्षिपेत्......
जयमाला
पार्श्वनाथ जयमाल में गुणगाण का मैं करूँ बखान। अल्प-शक्ति हूँ अल्प ज्ञानीहूँ, भक्त छोटा सा नादान ।। संकटहर श्री पार्श्वप्रभु, तुम गुण की जयमाला पढता ।
काशी राजा अश्वसेन, वामादेवी थी तव माता । वैशाख वदी दुतिया को तव माता ने गर्भ शुभ पाया था। और पौषवदी एकादशी को शुभ जन्म प्रभु ने पाया था ।। परिनिष्क्रमण तप जन्म तिथि में घोर महातप तपते थे। दैत्यकमठ उपसर्ग किया, तुम शान्त हृदय से सहते थे।।
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