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(दोहा) जयमाला श्री पार्श्व की, अन्तरिक्ष जिनराज। भाव सहित पढिये सदा, कट जाये जंजाल।। शान्तये शांतिधारा। दिव्य-परिपुष्पांजलिं क्षिपेत। अन्तरिक्ष श्री पार्श्व की, पार्श्व पूजा करिये रोज। सुख संपत्ति सबही मिले, मिटते भव के रोग।।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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