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जय नंत-चतुष्टय सौख्य सार, जय विद्याभूषण नमत सार।।
(घत्ता) जय पारस देवं, सुरकृत-सेवं, नासिय जन्म-जरा-मरणम्।
जय धर्म-सुदाता, भव-जल-त्राता, विघ्नहरं सेवित चरणम्।। ऊँ ह्रीं महवानगर-विराजित-विघ्नहर-श्रीपार्श्वनाथय जयमाला-पूर्णायं निर्वपामीति स्वाहा।
कल्याणं विजयं भद्रं चिंतितार्थं मनोरथम्। पार्श्व-पूजाप्रसादेन, सर्वं कामाय सिद्ध्यति।।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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