SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 562
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बड़ागाँव में था टीला जिसमें से तुम प्रगट भये। लक्ष्मण सेठ ने सुमरन किया तो संकट उनके मिटा दिये। ऐलक अनन्तकीर्ति ने जब ध्यान लगाया प्रभु तेरा। फाल्गुन सुदी अष्टमी को दर्श पाया प्रभु तेरा।। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय फाल्गुनसुदी-अष्टम्यां बड़ागाँव-स्थान-प्रगटाय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा।6। जयमाला हे नाथ तिहारे गुण अनन्त गणधर भी पार न पाये हैं। हम तुच्छ बुद्धि कुछ कह न सके भक्ति-भाव वश आये हैं।1। संसार दुःखों का सागर है युग-युग से भव-भव भटक रहा। सदियों ने भी करवट ले ली दुःख में ही जीवन अटक रहा।2। झूठा सब जग झूठे सपने अपना ना कोई पराया है। तन मन धन कोई नहीं अपना प्रभु तेरा एक सहारा है।3। जग के जंजालों में अपना नित समय गंवाता आया हूँ। तुम गुण अनन्त न जान सका पर-द्रव्यन में भरमाया हूँ।4। मैं सोच रहा इस जीवन का हर क्षण उपयोगी बन जावे। काषायिक भावों का सागर अब झट-पट खाली हो जावे।5। हो प्रभु दर्शन मुझको क्षण में सम्यक् की बह जावे धारा। हो जाए शान्त निराकुल मन बुझ जाये इच्छा की ज्वाला।6। तेरी पूजा से हे प्रभुवर शीतलता मुझको मिलती है। तेरी भक्ति से हे प्रभुवर आनन्द ज्ञान कली, खिलती है।7। सारा जग सब नश्वर दिखता निज का दिग्दर्शन होता है। नीलम आनन्द विभोर हुई यह चेतन चिंतन करता है।8। पारस प्रभु की पूजन करके भव-भव के कट जाते बंधन। चिंतामणि-पारस चरणों में शत-शत वन्दन शत-शत वन्दन।9। ऊँ ह्रीं श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय जयमाला-पूर्णाध्यं निर्वपामीति स्वाहा। 562
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy