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श्रावण शुक्ला षष्ठी के दिन शौर्यपुरी में जन्म हुआ। नृपति समुद्रविजय आँगन में सुर सुरपति का नृत्य हुआ।। मेरु सुदर्शन पर क्षीरोदधि जल से शुभ अभिषेक हुआ। जन्म महोत्सव नेमिनाथ का परम हर्ष अतिरेक हुआ।।
ॐ श्रावणशुक्ला-षष्ट्यां जन्ममंगल-मण्डिताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अघ्यं निर्वपामीति स्वाहा।2।
श्रावण शुक्ला षष्ठी को पशुओं पर करुणा आई । राजमति तज सहस्राम्र-वन में जा जिन दीक्षा पाई || इन्द्रादिक ने उठा पालकी हर्षित मंगलाचार किया।
नाथ प्रभु के तप कल्याण पर जय-जयकार किया ।।
ॐ ह्रीं श्रावणशुक्ला-षष्ट्यां तपोमंगल-मण्डिताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अध्यं निर्वपामीति स्वाहा। 3।
अश्विन शुक्ला एकमको प्रभु हुआ ज्ञानकल्याण महान | उर्जयंत पर समवशरण में दिया भव्य उपदेश प्रधान ।।
ज्ञानावरणी, दर्शनावरणी मोहनीय का नाश किया। नेमिनाथ ने अन्तराय क्षय कर कैवल्य - प्रकाश किया ।।
ऊँ ह्रीं आश्विनशुक्ल प्रतिपदायां ज्ञानमंगल-मण्डिताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अघ्यं निर्वपामीति स्वाहा।4।
श्री गिरनार क्षेत्र पर्वत से महा मोक्ष-पद को पाया। जगती ने आषाढ़ शुक्ला सप्तमी दिवस मंगल गाया।। वेदनीय अरु आयु नाम अरु गोत्र कर्म अवसान किया। अष्ट कर्म हर नेमिनाथ ने परम पूर्ण निर्वाण किया।।
ॐ ह्रीं आषाढ़ शुक्ला - अष्टम्यां मोक्षमंगल-मण्डिताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अघ्यं निर्वपामीति स्वाहा।5।
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