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केवलब्रह्मप्रकाश नमस्ते, सकल-चराचरभास नमस्ते। विघ्नमहीश्वर विज्जु नमस्ते, जय ऊरधगति-रिज्जु नमस्ते।6।
जय मकराकृतपाद नमस्ते, मकरध्वज-मदवाद नमस्ते। कर्मभर्म-परिहार नमस्ते, जय-जय अधम-उधार नमस्ते।7।
दयाधुरंधर धीर नमस्ते, जय-जय गुन-गम्भीर नमस्ते। मुक्तिरमनि-पति वीर नमस्ते, हर्ता भवभय-पीर नमस्ते।8। व्यय-उत्पति-थितिधार नमस्ते, निज-अधार अविकार नमस्ते।
भव्य-भवोदधिकार नमस्ते, वृन्दावन निस्तार नमस्ते।9।
घत्ता जय-जय जिनदेवं हरिकृतसेवं, परम धरम-धन धारी जी। मैं पूजौं ध्यावौं गुनगन गावों, मेटों विथा हमारी जी।10। ऊँ ही श्रीपुष्पदन्तजिनेन्द्राय पूर्णाऱ्या निर्वपामीति स्वाहा।
छन्द
पुहुपदंत पद सन्त, जजें जो मनवचनकाई। नाचे गावें भगति करें, शुभ-परनति लाई।। सो पावें सुख सर्व, इन्द्र अहिमिंद तनों वर। अनुक्रमतें निरवान, लहें निहचै प्रमोद धर।।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ।
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