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रटो नाम तेरो सबै सौख्यदाई, करी दूर पीड़ा सु क्षण ना लगाई। 7। व्यसन-सात सेवें करें तस्कराई, सुअंजन से तारे घड़ी न लगाई। सहे अंजना चंदना दुःख जेते, गये भाग सारे जरा नाम लेते। 8 । घड़े बीच में सासु ने नाग डारो, भलो नाम तेरो जु सोमा संभारो। गई काढ़ने को भई फूलमाला, भई है विख्यातं सबै दुःख टाला।9। इन्हें आदि देके कहां लों बखाने, सुनो विरद-भारी तिहूं-लोक जानें। अजी नाथ मेरी जरा ओर हेरो, बड़ी-नाव तेरी रती बोझ मेरो | 10 गहो हाथ स्वामी करो वेग पारा, कहूँ क्या अबै आपनी मैं पुकारा। सबै ज्ञान के बीच भासी तुम्हारे, करो देर नाहीं मेरे शांति प्यारे।11।
घत्ता
श्रीशांति तुम्हारी, कीरत भारी, सुर-नर-नारी गुणमाला। बख्तावर ध्यावे, रतन सु गावे, मम दुःख-दारिद सब टाला।। ऊँ ह्रीं श्रीशान्तिनाथजिनेन्द्राय जयमाला-पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। अजी एरा नन्दन छवि लखत ही आप अरणं । धरै लज्जा भारी करत थुति सो लाग चरणं ।। करै सेवा सोई लहत सुख सो सार क्षण में । घने दीना तारे हम चहत हैं वास तिन में ||
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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