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सब मीना गूजर जाट जैन, आकर पूजैं कर तृप्त नैन।7। मन-वच-तन से पूजें जो कोय, पावें वे नर शिव-सुख जु सोय । ऐसी महिमा तेरी दयाल, अब हम पर भी होओ कृपाल ॥8॥ ॐ ह्रीं श्रीपद्मप्रभजिनेन्द्राय जयमाला-पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। (दोहा)
मेढ़ी में श्री पद्म की पूजा रची विशाल । हुआ रोग तब नष्ट सब, बिनवे छोटेलाल पूजा विधि जानूं नहीं, नहिं जानूं आह्वान। भूल चूक सब माफ कर, दया करो भगवान ।।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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