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जग जीवन को उच्चार नमो, कृतकृत्य प्रभु जगतार नमो। जय केवल भान अमान नमो, जग पूज्य शिरोमन जात नमो।। भव संकट भंजन पाय नमो, नित मंगल वृन्द वधाय नमो । भगवंत सुसंत अनंत नमो, जयवंत महंत नमंत नमो। घत्ता (आर्या)
आदिश्वर जिनराजा, हे जग शिर ताजा, सुख साजा । भोदधितरण जहाजा, नंदन कीजे शिवका राजा ।। पशु नरदेव सुजन आये, हम इत मंजुल मंगल गाये।। ऊँ ह्रीं श्रीवृषभनाथजिनेन्द्राय पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(शिखरिणी)
महापापी तारे अधम नर जे अंजन नसे। निवारे दुःखों से विकट भव के संकट नसे। यही मेरी आशा हरहु भव फासा तुम नमें। नमूँ पूजूँ ध्याऊँ वृषभजिनको नंदन नमे
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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