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पंचकल्याणक आषाढकृष्णा दूज तिथि को गर्भविशे प्रभुजी आये। पन्द्रह माह तक रत्न वृष्टि कर, देवों ने मंगल गाये।। माता मरुदेवी को निशि में, सोलह शुभ सपने आये।।
गर्भकल्याणक मनाने सुरगण, नाभिराय के घर आये।। ॐ ह्रीं आषाढ़कृष्णा-द्वितीयायां श्री 1008 गुण-संयुक्त साँगानेरवाले बाबा श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय
गर्भकल्याणक-प्राप्ताय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। चैत्र बदी नवमी के शुभ दिन, ऋषभदेव ने जन्म लिया। नरकों में भी शान्ति हुई थी, स्वर्णमयी साकेत हुआ।।
शचि संघ ले इन्द्र अयोध्या, ऐरावत गज पर आया।
ऋषभदेव बालक को लेकर, मेरु पर अभिषेक किया।। ॐ ह्रीं चैत्रकृष्णा-नवम्यां श्री 1008 गुण-संयुक्त साँगानेरवाले बाबा श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय
जन्मकल्याणक-प्राप्ताय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। चैत बदी की नवमी तिथि को ऋषभदेव वैराग्य हुआ। लौकान्तिक देवों ने आकर, उत्सव तपकल्याण किया।। विषयभोग तज विरत हुए प्रभु, गृह कुटुम्ब सब त्याग दिया।
केशलोच कर मौन लिया तब, भेष दिगम्बर धार लिया।। ऊँ ह्रीं चैत्रकृष्णा-नवम्यां श्री 1008 गुण-संयुक्त साँगानेरवाले बाबा श्रीआदिनाथजिनेन्द्राय
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