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धन बल सत्ता रूप सम्पदा, पा करके जड़ की माया। नश्वर जीवन में भूले हम, अक्षय-आतम ना ध्याया।। तजकर दुखद जगत पद सारे, प्रभु जैसे बनने आये।
आज बड़ेबाबा के द्वारे, अक्षत पूजन को आये।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः अक्षयपद-प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।
सब रोगों में महारोग हैं, कामदेव जिसको कहते। जिसके रोगी भव-भव भटकें, सब दुख संकट वे सहते।। तीन लोक के इस राजा पर, विजय प्राप्त करने आये।
आज बड़े बाबा के द्वारे, पुष्प समर्पण को लाये।। ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः कामबाण-विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
क्षुधा रोग के कारण हम सब, पाप बन्ध करते जाते। इसकी औषधि करने को हम, भक्ष्याभक्ष्य भखे जाते।। रोग निरन्तर बढ़ता जाता, इसे नाशने अब आये।
आज बड़े बाबा के द्वारे, शुभ नैवेद्य भेंट लाये।। ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः क्षुधारोग-विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
मोह तिमिर के कारण जग में, चारों ओर अँधेरा है।
महाबली इस राजा का ही, सारे जग में डेरा है।। ज्ञान-दीप के प्रभा पुंज को, देख मोह तम नश जाये।
आज बड़ेबाबा के द्वारे, दीपक पूजन को लाये। ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अहँ नमः मोहांधकार-विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
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