________________
बाबा तेरी कीर्ति को हम कैसे गायेंगे। इंद्र गणधर गा ना पाये हम क्या गायेंगे || बाबाजी हम पूजते हैं याते आपको ।
उत्तम साधु बनकर तुम सम मोक्ष पाने को ।।11।।
दोहा
पूज्य बड़े बाबा रहे, सबके तारणहार इनके चरणों में करूँ, वन्दन बारम्बार ||
ऊँ ह्रीं श्री बड़ेबाबा आदिनाथजिनेन्द्राय जयमाला-पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा। शान्तिधारा। पुष्पांजलिः।
ज्ञानोदय छन्द
सतयुग में भी आदिनाथ बन, बता दिया शिव-पथ सब को। कलि-युग में भी बिना बोले के, बता रहे सात पथ हम को ।। ऐसे अनंत उपकारी हैं पूज्य बड़े बाबा हमरे ।
इन
पूजन
करके पाऊँ इन सम उत्तम मोक्ष अरे ।
।। इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
406