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श्री आदिनाथ जिन पूजन (रचयिता - जिनेश्वरदास)
नाभिराय मरुदेवि के नन्दन, आदिनाथ स्वामी महाराज, सर्वार्थसिद्धि तैं आप पधारे, मध्य लोक माँहिं जिनराज । इन्द्रदेव सब मिलकर आये, जन्म महोत्सव करने काज,
आह्वानन सब विधि मिलकरके, अपने कर पूजें प्रभु पाद ॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् । (इति आह्वाननम्)
___ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । (स्थापनम्) ॐ ह्रीं श्री आदिनाथजिनेन्द्र ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् । (सन्निधिकरणम्)
क्षीरोदधि को उज्ज्वल जल ले, श्री जिनवर पद पूजन जाय। जन्म जरा दुःख मेटन कारन, ल्याय चढ़ाऊँ प्रभु जी के पाय ॥ श्री आदिनाथ के चरण कमल पर, बलि-बलि जाऊँ मन वच काय ।
हे करुणानिधि भव दुःख मेटो, या” मैं पूजों प्रभु पाय ॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
मलयागिरि चन्दन दाहनिकन्दन, कंचन झारी में भर ल्याय । श्री जी के चरण चढ़ावो भविजन, भव आताप तुरत मिट जाय ॥ श्री आदिनाथ के चरण कमल पर, बलि-बलि जाऊँ मन वच काय ।
हे करुणानिधि भव दुःख मेटो, याते मैं पूजों प्रभु पाय ॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेन्द्राय संसारतापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा ।
शुभशालि अखंडित सौरभ मंडित, प्रासुक जल सौं धोकर ल्याय।
श्रीजी के चरणचढ़ावो भविजन, अक्षयपद को तुरत उपाय ॥ श्री आदिनाथ के चरण कमल पर, बलि-बलि जाऊँ मन वच काय ।
हे करुणानिधि भव दुःख मेटो, यात्रै मैं पूजों प्रभु पाय ॥ ॐ ह्रीं श्री आदिनाथ जिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा ।
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