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________________ तुम देखत पाप पहार बिले। तुम देखत सज्जन कञ्चन खिले।। जय दीन हितो मम दीन पनो, करि दरी प्रभू पद दे अपनो।। तुम लोक तने शुभ भूषण हो। जिनराज सदा गतदूषण हो।। जय दीन हितो मम दीन पनो, करि दूरी प्रभू पद दे अपनो।। तुम नाम जहाज चढ़े नर जे। वे पार भये सुखभाजन जे।। जय दीन हितो मम दीन पनो, करि दूरी प्रभू पद दे अपनो।। कसमायध मारन हार भले। वस-कर्म महान कठोर दले।। जय दीन हितो मम दीन पनो, करि दूरी प्रभू पद दे अपनो।। तुमसे तुम ही नहिं दूसर को। सब छांडि ममत्तदया पर को।। जय दीन हितो मम दीन पनो, करि दूरी प्रभू पद दे अपनो।। तुम पाद तनी रज शीश धरे। जन सो शिवकामिनि जाय वरे।। जय दीन हितो मम दीन पनो, करि दूरी प्रभू पद दे अपनो।। प्रभुनेमि निशाप निसाप करो। मनरंग तनी मन-पीर हरो।। जय दीन हितो मम दीन पनो। कर दूर प्रभू पद दे अपनो।। यह शिवानन्द प्रभु नेमिचन्द्र की, गुणगर्भित जयमाला जो पढ़े पढ़ावे मन वच तनसों, निज दर से दर हाल। पातक सब चूरे, आनन्द पूरे, नासे यम की चाल। पूरन पद होई लखे न कोई, भाषत मनरंजलाल। ओं ही श्री नेमिनाथजिनेन्द्राय सर्वसुखप्राप्तये पूर्णार्घ्यम्। सोरठा समुदविजय के नन्द, नेमिचन्द करुणायतन। तोरि देउ जग-फंद, जो स्वच्छन्द वरतै भविक। ओं ह्रीं श्री नेमिनाथजिनेन्द्राय नमः। (इस मंत्र की जाप्य देना) ॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥ 383
SR No.009243
Book TitleChovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZZZ Unknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages798
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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