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ममता हरता निकषाय कहो, नमिनाथ नमों शिवदायक हो ।। कविराज थकेबुधि मो कितनी, वरणों कहलो छविनाथ तनी । तुम भाव धरे शुभदायक हो, नमिनाथ नमों शिवदायक हो ।।
छन्द
श्री नमिनाथ जिनेश कृपाकर, की जयमाल महासुखकारी, जानि मने निज कण्ठ धरे नर, सो सब सौक्ख करे नितजा । जाकर त चले दिविसे, अमराधिप आय करे बहुधारी, कोकहि बात बढ़ावहि जाकह, आपुन आप मिले शिवनारी। ओं ह्री श्री नमिनाथजिनेन्द्राय सर्वसुखप्राप्तये पूर्णार्घ्यम्। सोरठा
भोमनाथ दयाल, ऋद्धि सिद्धिदायक सदा । तुम प्रसाद जग - पाल, आनंद बरतो भविन के ||
ओं ह्रीं श्री नमिनाथजिनेन्द्राय नमः । (इस मंत्र की जाय देना)
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ।।
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