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अब श्रेय करो श्रेयांस नाथ। मैं तुम्हें पाय हवो सनाथ। जाके मन तेरे चरण दोय। ता गेह कमी कबहूँ न होय।।
अब श्रेय करो श्रेयांस नाथ। मैं तुम्हें पाय हूवो सनाथ। तुम चरण तनो परसाद पाय। बिनश्रम चिन्तामणि मिलत आय।।
अब श्रेय करो श्रेयांसनाथ। मैं तुम्हें पाय हवो सनाथ।। बलिहारी इन चरणों की जाऊँ नहिं फेर धराऊँ कतहुँ नाऊँ।। अब श्रेय करो श्रेयांस नाथ। मैं तुम्हे पाय हवो सनाथ।
घत्ता श्रेयनाथ भगवन्त, तनी यह जयमाला, मनवचनतनहिं लगाय, पढ़े जो सुनहिं त्रिकाला। सिद्धि ऋद्धि भरपूर, रहे ता गृह के मांही, मंगल वृद्धि महान, होय नहिं घटे कदाही। ओं ह्री श्री श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय सर्वसुख प्राप्तये पूर्णाऱ्याम्।
सोरठा श्रेयनाथ भगवान, श्रेयकरण को प्रण भले। लियो कहत मतिमान, सो करिये सब जग विषे।।
ओं ह्रीं श्री श्रेयांसनाथजिनेन्द्राय नमः।
(इस मंत्र की जाप्य देना)
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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