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काम जीत्यो भली भांति के देव तैं। थान लीन्हों महाध्यान के भेव तें।।
नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। क्रोध की मान की लोभ की मोह की। टैव राखी न माया तनी छोह की।।
नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। ध्यानमय दण्ड ले पाप फोरे सभी। चौथ औतार भू मांहि हूओ सही।।
नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। अब्धि मण्डूकि की आस मो है रही। ताहि तूं स्वाति को बूंद आछो सही।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। अष्ट कर्माटवी ने महाऽमित्र हौ। झूठ की लाल सूखावने मित्र हो।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। पञ्च इन्द्री महाकम्बु को केहरी। शक्र लोटे सदा आय तो देहरी।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दर हो जाय मो भाव की कालिमा।। लोक में एक तू पुण्य की है ध्वजा। ले जो आसरो सो करे है मजा।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। झांझरी नाव मो बोझ गरुवा भरी। वायु वाहै महाअब्धि मांही परी।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। अन्ध को लाकड़ी ज्यों मुझे नाम तो। डूबते धार आलम्ब के पाव तो।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। भौ महाअब्धि के पारगामी सुनो। कान लागाय के व्याधि मेरी लुनो।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।। दीन के काज की कीजिये देर ना। नाथ कीजे मुकति अब कहा हेरना।। नेक होरी हमारी तनै हालिमा। दूर हो जाय मो भाव की कालिमा।।
घत्ता छन्द मरहटा अभिनन्दन स्वामी, अन्तरजामी, की पूरी जायमाल। जो पढ़े पढ़ावे, मनवचतनकरि, सो पावे शिव हाल।। तहँ वसे निरन्तर, काल अनन्ते, आसन अचल कहो जू। फिर जनम न पावे, मरन न आवे, जग गुण गावे रोजू।। ओं ह्री श्री अभिनन्दननाथजिनेन्द्राय सर्वसुख प्राप्तये पूर्णार्घ्यम्।
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