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(धत्तानन्द छन्द) जय-जय नमिनाथं हो शिवसाथं, और अनाथके नाथ सदं। ठातें शिर नायौ, भगति बढ़ायो, चिह्न चिह्न-शतपत्र पद।।15।। ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथजिनेन्द्राय जयमाला-महाध्यं निर्वपामीति स्वाहा।
दोहा श्रीनमिनाथ तने जुगल, चरन जजें जो जीव। सो सुर-नर सुख भोगकर, होवें शिवतिय पीव।।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
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