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________________ ६ बनारसी - नाममाला का यह बढ़ा चढ़ा हुआ वर्णन नही है जिससे ग्रात्मा पतन की ओर अग्रसर होता है | आपके ग्रन्थरत्नीका ग्रालोडन करने मे मालूम होता है कि आपके पास शब्दोका श्रमित भंडार था, और इसमें आपकी कविताके प्रायः प्रत्येक पदमें अपनी निजकी छाप प्रतीत होती है । कविता करनेमें ग्रापने बड़ी उदारता काम लिया है। व्यापकी कविता श्राध्यात्मिक रससे श्रोत-प्रोत होते हुए भी बड़ी ही रसीली, सुन्दर तथा मनमोहक है, पढ़ते ही चित्त प्रसन्न हो उठता है और हृदय शान्तिरम में भर जाता है। सचमुच में ग्रापकी आध्यात्मिक कविता प्राणियां संतम हृदयोको शीतलता प्रदान करती और मानस सम्वन्धी ग्रान्तरिक मलको छाटनी तथा शमन करती हुई अक्षय सुखकी अलौकिक सृष्टि करती है | आपकी कविता हनेका मुझे बड़ा शौक है- - वह मेरे जीवन का एक अंग बन गई है। जब तक मैं नाटक समयमारके दो चार पद्योंको रोज नहीं पढ़ लेता तब तक हृदयको शांति
SR No.009237
Book TitleBanarsi Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1941
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size2 MB
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