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________________ प्रस्तावना भी कहीं कहीं अन्तर देखा जाता है और 'ख' के स्थानपर 'ब' का प्रयोग तो दोनो प्रतियामें बहुलतासे उपलब्ध होना है, जो प्राय: लेखकोंकी लेखन-शैलीका ही परिणाम जान पड़ता है। अस्तु । उक्त दोनों ग्रंथप्रतियोंमें 'दोहा-वर्णित' विषयों का निर्देश दोहेके ऊपर गद्यमें दिया हुआ है, परन्तु एक एक दोहेमें कई कई विषयोंका समावेश होनेसे कभी कभी साधारण पाठकको यह मालूम करना कठिन हो जाता है कि कौन नाम किस विषयकी कोटिमें आता है। अत: यहाँ दोहेके ऊपर विषयोंका निर्देश न करके दोहेके जिस भागसे किसी विषयके नामों का प्रारंभ है वहाँ पर क्रमिक अंक लगा कर फुटनोटमें उस विषयका निर्देश कर दिया गया है। इससे विषय और उसके नामोंका सहज हीमें बोध होजाता है। इस ग्रन्थके संशोधन और सम्पादनमें श्रद्धेय पं.
SR No.009237
Book TitleBanarsi Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1941
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size2 MB
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