________________
३२
अनेकान्त-रस-लहरी देखनेकी जरूरत होती है, जिन्हें ध्यानमें रखते हुए द्रव्यकी अधिक-संख्यावाले दानको छोटा और अल्प-संख्यावाले दानको खुशीसे बड़ा कहा जा सकता है । अत: अब आप कृपाकर अपने दोनों दानियोंका कुछ विशेष परिचय दीजिये, जिससे उनके छोटे-बड़ेपनके विषयमें कोई बात ठीक कही जा सके। ___ अध्यापक-हमें पाँच पाँच लाखके दानी चार सेठोंका हाल मालूम है जिनमेंसे (१) एक सेठ डालचन्द हैं, जिनके यहाँ लाखोंका व्यापार होता है और प्रतिदिन हजारों रुपये धर्मादाके जमा होते हैं, उमो धर्मादाकी रकममें से उन्होंने पाँच लाख रुपये एक सामाजिक विद्या-संस्थाको दान दिये हैं और उनके इस दानमें यह प्रधान-दृष्टि रही है कि उस समाजके प्रेमपात्र तथा विश्वासपात्र बनें और लोकमें प्रतिष्ठा तथा उदारताकी धाक जमाकर अपने व्यापारको उन्नत करें। (२) दुसरे सेठ ताराचन्द हैं, जिन्होंने ब्लैक-मार्केट द्वारा बहुत धन संचय किया है और जो सरकारके कोप-भाजन बने हुए थे-सरकार उनपर मुकदमा चलाना चाहती थी। उन्होंने एक उच्चाधिकारीके परामर्शसे पाँचलाख रुपये 'गांधी-मीमोरियल-फंड' को दान दिये हैं और इससे उनकी सारी आपत्ति टल गई है । (३) तीसरे सेठ गमा. नन्द हैं, जो एक बड़ी मिलके मालिक हैं जिसमें 'वनस्पति-घी' भी प्रचुर परिमाणमें तय्यार होता है । उन्होंने एक उच्चाधिकारीको गुपदानके रूपमें पाँच लाख रुपये इसलिये भेंट किये हैं कि . वनस्पतिघीका चलन बन्द न किया जाय और न उसमें किसी रंगके मिलानेका आयोजन ही किया जाय । (४) चौथे सेठ विनोदीराम हैं, जिन्हें 'रायबहादुर' तथा 'आनरेरी मजिस्टेट' बननेकी प्रबल इच्छा थी। उन्होंने जिलाधीशसे (कलक्टर से)