SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकान्त-रस-लहरी 'अच्छा, हमें तो वह जादू करना पाता है। बतलाओ इस लाइनको पहले छोटी करें या बड़ी ?' अध्यापकने पूछा। 'जैसी आपकी इच्छा, परन्तु आप भी इसे छूएं नहीं और इसे अपने स्वरूपमें स्थिर रखते हुए छोटी तथा बड़ी करके बतलाएँ; विद्यार्थियोंने उत्तरमें कहा। ___ऐसा ही होगा' कह कर, अध्यापकजीने विद्यार्थीसे कहा'तुम इसके दोनों ओर मार्क कर दो-पहचानकाकोई चिन्ह बना दो, जिससे इसमें कोई तोड़-जोड़ या बदल-सदल न हो सके और यदि हो तो उसका शीघ्र पता चल जाय । विद्यार्थीने दोनों ओर दो फूलकेसे चिन्ह बना दिये। फिर अध्यापकजीने कहा 'फुटा रख कर इसकी पैमाइश भी करलो और वह इसके ऊपर लिख दो।' विद्यार्थीन फुटा रख कर पैमाइश की तो लाइन ठीक वीन इंचकी निकली और वही लाइनके ऊपर लिख दिया गया। इसके बाद अध्यापकजीने बोर्डपर एक ओर कपड़ा डालकर कहा- " ___ 'अब हम पहले इस लाइनको छोटो बनाते हैं और छोटी होनेका मंत्र बोलते हैं ।' साथ ही, कपड़ेको एक श्रोरसे उठा कर 'होजा छोटी, होजा छोटी !' का मंत्र बोलते हुए व बोडपर कुछ बनानेको ही थे कि इतनेमें विद्यार्थी बोल उठे 'आप तो पर्दकी ओटमें लाइनको छूते हैं । पर्दे को हटा कर सबके सामने इसे छोटा कीजिये ।' अध्यापकजीने बोर्ड पर डाला हुआ कपड़ा हटाकर कहा 'अच्छा, अब हम इसे खुले आम छोटा किये देते हैं और किसी मंत्रका भी कोई सहारा नहीं लेते। यह कह कर उन्होंने उस
SR No.009236
Book TitleAnekant Ras Lahari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year1950
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy