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धवला उद्धरण
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प्रदेश, ये उत्तरोत्तर वृद्धि की अपेक्षा अनन्त गुणे हैं।।19।।
पत्थो तिहा विहत्तो अणागदो वट्टमाणतीदो य। एदेसु अदीदेण दु मिणिज्जिदे सव्वबीजं तु।।20।।
प्रस्थ तीन प्रकार का है- अनागत, वर्तमान और अतीत। इनमें से अतीत प्रस्थ के द्वारा संपूर्ण बीज मापे जाते हैं।।20।।
काल के भेद कालो तिहा विहत्तो अणागदो वट्टमाणतीदो य। एदेसु अदीदेण दु मिणिज्जदे जीवरासी दु।।21 ।।
काल तीन प्रकार का है- अनागत काल, वर्तमान काल और अतीत काल। इनमें से अतीत काल के द्वारा संपूर्ण जीवराशि का प्रमाण जाना जाता है।21॥
मिथ्यादृष्टि जीवराशि पत्थेण कोदवेण व जह कोइ मिणेज्ज सव्वबीजाई। एवं मिणिज्जमाणे हवंति लोगा अणंता दु।।22।।
जिस प्रकार कोई प्रस्थ से कोदों के समान संपूर्ण बीजों का माप करता है, उसी प्रकार मिथ्यादृष्टि जीवराशि की लोक से अर्थात् लोक के प्रदेशों से तुलना करने पर मिथ्यादृष्टि जीवराशि का प्रमाण लाने के लिये अनन्त लोक होते हैं, अर्थात् अनन्त लोक प्रमाण मिथ्यादृष्टि जीवराशि है।।22।।
लोगागासपदेसे एक्के क्के णिक्खिवेवि तह दिठिं। एवं गणिज्जमाणे हवंति लोगा अणंता दु।।23।।
लोकाकाश के एक-एक प्रदेश पर एक-एक मिथ्यादृष्टि जीव को निक्षिप्त करें। इसप्रकार पूर्वोक्त लोक प्रमाण के क्रम से गणना करते जाने पर अनन्त लोक हो जाते हैं।।23।।