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चिन्तित रहते हैं तथा उनकी भावना रहती है कि हम यद्वा-तद्वा अर्थ न करें। आगम को मूलरूप में ही सुरक्षित रखें, गाथाओं का अर्थ करते समय मूल परम्परा को ध्यान में रखें। डॉ. आलोक कुमार जैन, उपनिदेशक- वीर सेवा मंदिर (जैनदर्शन शोध संस्थान) दरियागंज, नई दिल्ली एक सुचिन्तक युवा विद्वान् हैं। उन्होंने गाथाओं/श्लोकों के शीर्षकीकरण, संशोधन एवं गाथानुक्रमणिका के निर्माण में अपनी सारस्वत प्रतिभा का सदुपयोग किया है। मैं आदरणीय कटारिया जी एवं डॉ. आलोक कुमार जैन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए भावना भाता हूँ कि वे जिनवाणी की सेवा यथोचित तन, मन, धन से करते हुए यशस्वी बनें।
इस सम्पूर्ण उद्धरण संकलन का कार्य वीर सेवा मन्दिर, दरियागंज, नई दिल्ली के समृद्ध पुस्तकालय में सम्पन्न हुआ है, जिसमें वीर सेवा मन्दिर के माननीय अध्यक्ष श्री भारत भूषण जैन एडवोकेट, महामंत्री श्री विनोद कुमार जैन एवं अन्य समस्त पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने जो सहृदयता का परिचय दिया है, वह न केवल श्लाघनीय है, अपितु अनुकरणीय भी है। मैं वीर सेवा मन्दिर की इस अहेतुकी कृपा के लिए विनम्र आभार व्यक्त करता हूँ।
-डॉ. जयकुमार जैन, मुजफ्फरनगर
निदेशक वीर सेवा मन्दिर (जैनदर्शन शोध संस्थान)