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धवला पुस्तक 14
243 योनिभूत बीज में जीव उत्पन्न होता है या अन्य जीव उत्पन्न होता है और जो मूली आदि हैं वे प्रथम अवस्था में प्रत्येक हैं।।17।।
सत्ता (सत्) की विशेषता सत्ता सव्वपयत्था सविस्सरूवा अणंतपज्जाया। भंगुप्पायधुवत्ता सप्पडिवक्खा हवइ एक्का।।8।।
सत्ता सब पदार्थों में स्थित है, सविश्वरूप है, अनन्त पर्याय वाली है, व्यय, उत्पाद और ध्रुवत्व से युक्त है, सप्रतिपक्षरूप है और एक है।।18।।
मुहूर्त का प्रमाण तिण्णिसहस्सा सत्तसदाणि तेहत्तरं च उस्सासा। एसो हवदि मुहुत्तो सव्वेसिं चेव मणुयाणं ।।1911
सभी मनुष्यों के तीन हजार सात सौ तिहत्तर (3773) उच्छ्वासों का एक मुहूर्त होता है।।७।। तिण्णि सदा छत्तीसा छावट्ठिसहस्स चेव मरणाणि। अंतो मुहुत्तकाले तावदिया चेव खुद्दभवा।।20।।
अन्तर्मुहूर्त काल के भीतर छयासठ हजार तीन सौ छत्तीस मरण और उतने ही क्षुद्रभव ग्रहण होते हैं।।20।। एयक्खोत्तो गाढं सव्वपदे सेहि कम्मणो जोग्गं । बंधइ जहुत्तहेऊ सादियमह अणादियं चेदि।।21।।
अपने-अपने कहे गये हेतु के अनुसार कर्म के योग्य सादि, अनादि और सब जीवप्रदेशों के साथ एकक्षेत्रावगाहीपने को प्राप्त हुए पुद्गल बाँध ता है।।21।। साहारणआहारो साहारणआणपाणगहणं च। साहारणजीवाणं साहारणलक्खणं भणियं ।।22।।