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धवला उद्धरण
भावना कारण जान अभियोगदार
सामित्त अणियोगद्दार
नैगम नय के पि णरं दठूण य पावजणसमागम करेमाणं। __णेगमणएण भण्णइ रइओ एस पुरिसो त्ति।।1।।
किसी मनुष्य को पापी लोगों का समागम करते हुए देखकर नैगम नय से कहा जाता है कि वह पुरुष नारकी है।।1।।
व्यवहार नय ववहारस्स दु वयणं जइया कोदंड-कंडगयहत्थो। भमइ मए मग्गंतो तइया सो होइ रइओ।।2।।
व्यवहार नय का वचन इस प्रकार है- जब कोई मनुष्य हाथ में धनुष और बाण लिये मृगों की खोज में भटकता फिरता है तब वह नारकी कहलाता है।।2।।
ऋजुसूत्र नय उज्जुसुदस्स दु वयणं जइआ इर ठाइदूण ठाणम्मि। आहणदि मए पावो तइया सो होइ णेरइओ।।3।।
ऋजुसूत्र नय का वचन इस प्रकार है- जब कोई मनुष्य हाथ में धनुष और बाण लिये मृगों की खोज में भटकता फिरता है तब वह नारकी कहलाता है।।3।।
शब्द नय सद्दणयस्स दु वयणं जइया पाणेहि मोइदो जंतू। तइया सो रइओ हिंसाकम्मेण संजुत्तो।।4।। शब्द नय का वचन इस प्रकार है- जब जन्तु प्राणों से विमुक्त कर