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________________ 105 धवला पुस्तक 4 चन्द्र, , आदित्य (सूर्य), ग्रह, नक्षत्र और ताराओं की दूनी - दूनी संख्याओं से निरन्तर तिर्यग्लोक द्विवर्गात्मक है ॥2॥ चन्द्र के परिवार तारे छावट्ठि च सहस्सं णवयसदं पंचसत्तरि य होंति । एयससीपरिवारो ताराण कोडिकोडीओ ।। 31 ।। एक चन्द्र के परिवार में छयासठ हजार नौ सौ पचहत्तर कोड़ाकोड़ी 66975000000000000000 तारे होते हैं। 13 1 जम्बूद्वीप का क्षेत्रफल सत्त णव सुण्ण पंच य छण्णव चदु एक्क पंच सुण्णं च। जंबूदीवस्सेद गणिदफलं होइ णायव्वं ।। 4 ।। सात, नौ, शून्य, पाँच, छह, नौ, चार, एक, , पाँच और शून्य अर्थात् 7905694150 वर्ग योजन प्रमाण जम्बूद्वीप का क्षेत्रफल होता है, ऐसा जानना चाहिए ॥ 4 ॥ वाहिरसूई वग्गो अब्भतरसू इवग्गपरिहीणो । जंबूदीवपमाणा खंडा ते होति चउवीसा ।। 5 ।। इसकी अर्थात् जम्बूद्वीप के उक्त क्षेत्रफल की एक शलाका (1) होती है। इस प्रमाण से लवणसमुद्र के क्षेत्र का गणित करने पर वह जम्बूद्वीप के क्षेत्रफल से चौबीस गुणा होता है। कहा भी है - लवणसमुद्र की बाह्य सूची के वर्ग को उसी की आभ्यन्तर सूची के वर्ग के प्रमाण से कम करने पर जम्बूद्वीप के क्षेत्रफल प्रमाण उसके चौबीस खंड होते हैं।।5।।
SR No.009235
Book TitleDhavala Uddharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages302
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size524 KB
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