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४९. नया युग
नया युग आया है
नयी चेतना लाया है
मन की बगिया के सभी फूल झूमने लगे हैं, डाल-डाल और पत्ते - पत्ते में बसन्त छा गया है
मन के हिंडोले पर झूले पड़ गये हैं, राधा और कृष्ण झूलने की तैयारी कर रहे हैं।
तन-मन में उल्लास छा गया
कण-कण में चैतन्य समा गया वीणा का स्वर झंकृत हो उठा
आनन्द गान मुखरित हो उठा
ऐसे में प्रभु आये, झाँक कर देखा
मन की बगिया का कण-कण उल्लसित हो उठा सभी पेड़-पौधे फूल-पत्तियाँ अनुवानी करने लगे झूम-झूम कर सिर हिला कर यों कहने लगे । प्रभु आने के बाद जाना नहीं
विरह अन्ति में जलाना नहीं
योग के बाद का वियोग सहा जाता नहीं विरह का कारण समझ में आता नहीं ।
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