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तृतीय परिशिष्ट
पारिभाषिक शब्दोनो अर्थ भकाम--....अविोक-मजान-पूर्वक दुःखमुस आदि सहन करकन
प्रति या इन्छा न होय तो पण परवशतः सहन करतान
परिस्थिति। अनगार-अन्+अगार, अगार-घर, जैने अमुक एक घर नथी अति
निरंतर सविधि भ्रमण-शील एवो साधक, साधु । साधु, संन्यासी
भिक्षु, श्रमण; आ बधा शब्दो 'अनगार 'ना समनार्थ छे. अवधि-रूपादियुक्त परोक्ष पदार्थोने पण मर्यादित रीतिथी बाग
शकतुं विविध प्रकारचें ज्ञान ।। आहार--अशन, पान, स्वादिम अने खादिम, आ चार प्रकारनुं भोजन.
अशन-कोई पण खाद्य पदार्थy भोजन, पान---कोई पण पेय पदार्थ- पीj-शरवत जल दूध आदिन पीगुं, खादिम-~~-फल
मेवा आदि, स्वादिम---मुखवास, लविंग, सोपारी आदि । इंगित-शारीरिक संकेत-नेत्र, हाथ, आदिनो इशारो। उन्भेइमलोण-उभेदिम-लवण-समुद्रना पाणीथी बनेलं सहज मोठं । दर्शनावरणीय-दर्शन-शक्तिनुं आवरणरूप कर्म । प्रमाद-विषय कपाय मय अतिनिद्रा अने विकथा आदिनो प्रसंग
पांच इन्द्रियोना शब्द, रूप, रस, गंध अने स्पर्श ए पांच विषय, क्रोध, मान, माया अने लोभ ए चार कषाय, मध-मध अने ....... - ...- -.-- -- AP -सोर दा Arore.-.