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________________ शालिभद्र महाकाव्यम् 828282828282828282828282828282828288 परिशिष्ट-४ : श्रीशालिभद्र नाम स्म२९ (संस्कृत-प्राकृत-१४२।ती) १. मणिकणगरयणधण-पूरिअम्मि भवणम्मि सालिभद्दो वि । अन्नो किर मज्झ सामिओत्ति जाओ विगयकामो ॥ ८५ ।। - श्रीधर्मदास गणिकृत उपदेश माळा २. दाऊण खीरदाणं, तवेण सुसिअंगसाहुणो धणिअं । जगजणिअचमक्कारो, संजाओ सालिभद्रो वि ॥ ९ ॥ - देवेन्द्रसूरिकृत दानकुलक ३. श्र शालिभद्रादपरो न भोगी - अज्ञात ४. दानि शालिभद्र धन ऋद्धि - लक्ष्मीसागर कृत धनदत्त - धनदेव चरित्र ५. शालिभद्र धन्नो अणगार - ऋषभदास कृत सुमित्रराजर्षि रास ६. शालिभद्र सुख भोगव्या, पात्रतणे अधिकार; खीर खांड घृत वहोरावीया, पोहोता मुक्ति मझार, - भीम मुनिकृत वैकुंठ पथ ७. शालिभद्र कयवन्नो वळी, पुण्यसार जगि सार; दान पसाये पामीया, अक्षय रिद्धि भंडार. - मुनि तेजचंद कृत पुण्यसार-रास 82828282828282828282828282828282888 ॥३५॥
SR No.008969
Book TitleShalibhadra Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherSamkhiyali Jain Sangh Samkhiyali
Publication Year2007
Total Pages624
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, History, & Literature
File Size2 MB
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