________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
किं अन्निण तं चेव देव! या मइ अवहीरह २६ तुह पत्थण नहु होइ विहलु जिण जाणउ किंपुण, हउ दुक्खिय निरु सत्तचत्तदुक्खहु उस्सुयमण तं मन्नउ निमिसेण एउ एउवि जइ लब्भ, सच्चं जं भुक्खियवसेण किं उंबरु पच्चइ
२७ तिहुअणसामिअ! पासनाह! मह अप्पु पयासिउ, किज्जउ जं नियरूवसरिसु नमुणउ बहु जंपिउं, अन्नुन जिणजगि तुहसमोवि दखिन्नु दयासउ जइ अवगन्नसि तुह जिअहह कहहोसु हयासउ जइ तुह रूविण किणवि पेयपाइण-वेलवियउ, तुवि जाणउ. जिणपास तुम्हि हउं अंगकिरिउ, इयमह इच्छिउ तं न होइ सा तुह ओहावणु रक्खंतह नियकित्ति णेय जुज्जइ अवहीरणु २९ एव महारिय ज-त देव एहुन्हवणमहुसउ, जं अणलीअ-गुणगहण तुम्ह मुणिजण अणिसिद्धउ एम पसिह सुपासनाह! थंभणय-पुरट्ठिय! इय मुणिवरु सिरि-अभयदेउ विन्न वइ अणिंदिय ३०
૨૮
.७२
For Private And Personal Use Only