________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
धन०४
धन० ५
दुजी नार मारे बेन बराबर, धन धीरज तारी जाणी. हैये हार शणगार सजी सब, श्याम घटा हिये हुलसानी, वर्षाकाल अति घणो गरजे, चिंहुधारा हो वरसे पाणी. एक शैयाए दोनुं प्रबल, बेउए मन राख्युं ताणी, षट्रस भोजन द्वादश संवत्सर, बीजी नारीओ भरशे पाणी. मन वचन काया अखंडित निर्मल, शील पाळ्युं उत्तम प्राणी, विमल केवली करी प्रशंसा, ए दोर्नु उत्तम जाणी. प्रगट हुवा संयम व्रत लीनो मोह कर्म कीया धूळधाणी, रतनचंद करजोडी विनवे, केवल लही गया निर्वाणी.
धन०६
धन० ७
धन०८
६७
For Private And Personal Use Only