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नहीं हुं परणी नहीं हुं कुंवारी, पुत्र जणावन हारी; काली दाढीको में कोइ नहीं छोड्यो,
हजुए हुं बाल कुंवारी. अवधू. ३
अढी द्वीपमें खाट खटूली, गगन ओशीकुं तलाइ; धरणीको छेडो आभकी पीछोडी, तोय न सोड भराइ. गगन मंडलमें गाय वीआणी वसुधा दूध जमाइ; सउरे सुनो भाइ वलोणुं वलोवे तो,
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तत्त्व अमृत कोइ पाइ नहीं जाउं सासरीये ने नहीं जाउं पियरीये, पीजीकी सेज बिछाई
आनंद घन कहे सुनो भाइ साधु तो,
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अवधू.४
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अवधू५
ज्योतसें ज्योत मिलाइ. अवधू.६
अध्यात्म सज्झाय
अवधू निरपक्ष विरला कोइ, देख्या जग सहु जोइ अवधू.; समरस भाव भला चित्त जाके, थाप उथाप न होइ; अविनाशीके घरकी बातां, जानेंगे नर सोइ. राय-रंकमें भेद न जाने, कनक उपल सम लेखे; नारी नागणीको नहीं परिचय, तो शिव मंदिर देखे.
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अवधू.१
अवधू. २