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चरशो वळी कांटा ने कंथार; हाथने हडसेले घर भेगा थाशो रे, उपर पडशे पाटुना प्रहार. घोडा थईने रे गाडीओ खेंचसो रे, उपर पडशे चाबूकना प्रहार; चोकथु बांधीने उपर बेसशे रे, रायजादा थई सवार. झाड थईने वनमां ध्रुजशो रे, सहेशो वळी तडको ने टाढ; डाळे ने पांदडे रे पंखी माळा घालशे रे, उपर पडशे कुहाडाना घा. उत्तम नरभव फरी फरी आतमा रे, मेळववो छे मुश्केल; हीरविजयनी एणी पेरे शिखडी रे, तुमे सांभळजो अमृत वेल.
कर्म विडंबनानी सन्झाय सुख दुःख सरज्या पामीये रे, आपद संपद होय; लीला देखी परतणी रे, रोष म धरजो कोय रे;
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