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एह गिरिनो महिमा अनंत, कुण करे वखाण; चैत्री पूनमने दिने, तेह अधिको जाण. एह तीरथ सेवो सदा, आणी भक्ति उदार; श्री शत्रुजय सुखदायको, दान विजय जयकार................३
श्री पुंडरीकस्वामी, चैत्यवंदन आदीश्वर जिनरायनो गणधर गुणवंत; प्रगट नाम पुंडरीक जास, महीमाहे महंत... पंच कोडी साथे मुणींद, अणसण तिहां कीध; शुक्लध्यान ध्याता अमूल, केवल वर लीध. चैत्री पूनमने दिने ए, पाम्या पद महानंद; ते दिनथी पुंडरीकगिरि, नाम दान सुखकंद.
नवपद चैत्यवंदन श्री सिद्धचक्र आराधीये, आसो चैतर मास. नव दिन नव आंबिल करी, कीजे ओली खास. . ........१ केशर चंदन घसी घणा, कस्तुरी बरास. जुगते जिनवर पूजिये, जिम मयणा श्रीपाल. पूजा अष्ट प्रकारनी, देव-वंदन त्रण काल. मंत्र जपो त्रण कालने, गुणणुं दोय हजार...
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