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श्री पार्श्वनाथ भगवान- चैत्यवंदन जय चिंतामणी पार्श्वनाथ, जय त्रिभुवन-स्वामी; अष्ट-कर्म रिपु जीतीने, पंचम गति पामी. प्रभु नामे आनंद-कंद, सुख संपत्ति लहीये; प्रभु नामे भव भव तणां, पातक सब दहीये.. ॐ ह्रीं वर्ण जोडी करी ए, जपीए पारस नाम; विष अमृत थइ परिणमे, लहीए अविचल ठाम. .........३
__ श्री पार्श्वनाथ भगवान, चैत्यवंदन ॐ नमः पार्श्वनाथाय, विश्व-चिंतामणीयते; ह्रीं धरणेन्द्र वैरोट्या, पद्मादेवी-युताय ते... शांति-तुष्टि-महापुष्टि-, धृति-कीर्ति-विधायिने; ॐ ह्रीं द्विव्याल वेताल, सर्वाधि-व्याधि-नाशिने... जया-जिताख्या-विजयाख्या-, पराजितयान्वितः; दिशां-पालैर्ग्रहैर्य:-, विद्यादेवीभि-रन्वितः. .... ॐ असिआउसा, नमस्तत्र त्रैलोक्य-नाथताम्; चतुष्षष्टिः सुरेंद्रास्ते, भासते छत्र-चामरैः. .........४ श्री-शंखेश्वर मंडन-पार्श्वजिन, प्रणत कल्प-तरु-कल्प; चूरय दुष्ट-वातं, पूरय मे वांछितं नाथ...
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