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कान में कुंडल डोले... मस्तक मुगट सुहाये कैसी सुंदर काया... भक्तो के मन भाये मन की इच्छा पूरी होवे... आये द्वार तिहारा... शंखेश्वर का. मुक्ति से भक्ति प्यारी... कहते ज्ञानी ध्यानी इसके चरणकमल में... बीते सारी जिंदगानी सच्चे दिलसे ध्यान लगा दो...होवे वारा न्यारा...शंखेश्वर का. इस तीरथ के कंकर... पथ्थर हम बन जाये भक्तो हम पे चलकर... दर्शन तेरा पाये अंतिम इच्छा पूरी होवे... जीवन हो सुखकारा... शंखेश्वर का. शंखेश्वर का पारस लीला अजब दीखाता इसके चरण में जो भी आये, बेडा पार लगाता राय और रंक को भी तारे जग के तारण हारा ..................................शंखेश्वर का.
___ आज वगडावो... आज वगडावो वगडावो रूडां शरणायुंनो ढोल, हे... शरणायुंनां ढोल रूडां नगरानां ढोल................आज. आज नाचे रे उमंग रंग अंगमां रे लोल हुं तो एवो रे रंगाणो प्रभु रंगमां रे लोल हे... हुं तो गावू ने गवडा, रूडां गीतडां ना बोल... ..आज.
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